शिवकालीबोध में स्वागत
कुण्डलिनी योग आध्यात्मिकता का सबसे रहस्यमय और शक्ति प्रदान करने वाला पहलु है। माँ गौरी हमारे भीतर माँ कुण्डलिनी के रूप में विद्यमान हैं। जब माँ कुण्डलिनी जागृत होती हैं, वे हमारे सूक्ष्म शरीर के चक्रों, नाड़ियों, भवसागर और दिव्य आभा को ऊर्जावान कर देती हैं। इसके साथ, ईश्वरीय प्रेम और गुण हमारे भीतर जागृत होते हैं और हम इन्हें अपने विचारों, व्यवहार और कार्यों में अभिव्यक्त करने लगते हैं। जब माँ कुण्डलिनी हमारे सहस्रार चक्र का भेदन करती हैं, तो सर्वव्यापी ईश्वरीय चेतना संग हमारा एकीकरण स्थापित कर, हमें मुक्ति प्रदान करती हैं। धीरे-धीरे, हमारा जीवन पूरी तरह परिवर्तित हो जाता है।
शिवकालीबोध में शिवशक्ति उपासकों की कुण्डलिनी, अद्वितीय परमेश्वरी आदिशक्ति माँ काली और महामनस्क परमेश्वर महादेव शिव के आशीर्वाद से जागृति होती है। जब हम मानवीय चेतना की परम अवस्था को प्राप्त करते हैं, जो हैं हमारा ईश्वर संग एकीकरण, तब हम संशयरहित आनंदमय समाधी की अवस्था में पहुँच जाते हैं और आध्यात्मिक रूप से सशक्त हो जाते हैं।