ईश्वर संग हमारे एकीकरण की मार्ग की वैधता का मूल्यांकन करने के लिए नियम है कि हम यह देखे की क्या यह प्रणाली हमें सशक्त बना रही है या केवल हमें किसी पर निर्भर कर रही है। ईश्वर से हमारा एकीकरण ही सच्ची स्वतंत्रता और मुक्ति है। यह एक अनंत उत्सव है। ईश्वरीय आनंद अस्थायी होगा अगर हम जंजीरों में ही बंधे रहेंगे।

शिवकालीबोध की आध्यात्मिक प्रक्रियाएँ स्पष्ट रूप से `प्रक्रम' पुस्तक में विस्तृत है। इस पुस्तक में हमारे सूक्ष्म शरीर को ऊर्जावान और संतुलित करने, हमारी कुण्डलिनी को जागृत करने और सर्वोच्च दिव्य शक्ति संग हमारे एकीकरण को स्थापित करने के चरणों की व्याख्या है। हमारे भीतर ईश्वरीय प्रेम और गुण अनायास ही जागृत हो जाते हैं जब हम शिवकालीबोध प्रक्रम में निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन, भक्ति और अनुशासन के साथ करना शुरू करते हैं।

शिवकालीबोध प्रक्रम में निर्धारित प्रक्रियाओं का अभ्यास 15 दिनों तक भक्ति और अनुशासन के साथ करने के बाद, हमें अपने भीतर दिव्य ऊर्जा की सक्रियता अनुभव होने लगता है। माँ काली की कृपा से हमारी कुण्डलिनी जागृत हो जाती है और हम अपनी हथेलियों पर और अपने सर पर ईश्वरीय ऊर्जा के प्रभाव को अनुभव करने लगते हैं। यह शिवकालीबोध आध्यात्मिक प्रक्रिया की सत्यता का पहला प्रमाण है।

जैसे हमारी आध्यात्मिक विकास की इच्छा में तीव्रता आती है, हम आध्यात्मिक प्रक्रियाओं का पालन अत्यधिक प्रेम, भक्ति, अनुशासन और उत्साह के साथ करने लगते हैं। हमारी सांसारिक उपलब्धियों में वृद्धि, हमारे जीवन में परिवर्तन, और हमारी आध्यात्मिक प्राप्तियों से शिवकालिबोध आध्यात्मिक प्रणाली की सत्यता के और प्रमाण मिलते हैं।

यदि आप शिवकालीबोध प्रक्रम पुस्तक खरीदना चाहे, तो हमें info@shivkalibodh.in पर लिखें।

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