हमारा सूक्ष्म शरीर, सात चक्र, तीन नाडियाँ, दिव्य आभा, भवसागर और कुण्डलिनी शक्ति का समावेश हैं। दिव्य आभा वो ईश्वरीय ऊर्जा हैं जो हममें समायी हुई हैं और हमें घेरे भी रहती हैं। चक्र, हमारे भीतर उपस्थित ऊर्जा के सात केन्द्र हैं, जिन्हें हमारी तीन नाडियाँ जोड़ती हैं।
हमारे सूक्ष्म शरीर बहुत महत्वपूर्ण है चूँकि यह हमारे स्थूल शरीर और जीवन की उपलब्धियों को पूरी तरह से नियंत्रित करता है। इसलिए, हमारे स्थूल शरीर के सामान्य रूप से कार्य करने के लिए एवं हमारी पारिवारिक, आर्थिक, स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण के लिए, हमारे सूक्ष्म शरीर की ऊर्जा का संतुलन में रहना आवश्यक है।
हमारे सूक्ष्म शरीर की ऊर्जा में कोई भी विघ्न, हमारे जीवन को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है। हम विभिन्न रोगों और सांसारिक समस्याओं से ग्रस्त हो सकते हैं। इसलिए, एक स्वस्थ और सुखी जीवन जीने के लिए, हमें अपनी दिव्य आभा, चक्रों, और नाड़ियों की ऊर्जा पर कार्य करना चाहिए जिससे वे शुद्ध, ऊर्जावान, संतुलित और सभी प्रकार के नकारात्मक प्रभावों से मुक्त रहें।
इसलिए, शिवकालीबोध में आध्यात्मिक रूप से रोगों एवं समस्यायों के उपचार के लिए, दिव्य आभा और चक्र शुद्धिकरण बहुत महत्वपूर्ण है। इसे आध्यात्मिक उपचार कहा जाता है। आध्यात्मिकता की सुंदरता और शक्ति अति विशाल है। इसके उचित अभ्यास से, हमारा सर्वव्यापी ईश्वर शक्ति से एकीकरण स्थापित हो जाता है और इससे हमारी सभी व्यक्तिगत, स्वास्थ्य और पारिवारिक समस्यायें ठीक हो जाती हैं।
एक नौसिखिया के लिए इसपर विश्वास करना कठिन हो सकता है, परन्तु जो आध्यात्मिकता के बारे में अवगत हैं, वे आध्यात्मिक उपचार की शक्ति को जानते हैं। यह चिकित्सा शक्ति हमारे भीतर निहित है और हम इस शक्ति को जागृत कर, इसके प्रभाव को अपने स्वास्थ्य और खुशी पर अनुभव कर सकते हैं।
शिवकालीबोध, आध्यात्मिक उपचार के लिए एक निर्धारित प्रक्रिया का अनुसरण करता है। जैसे-जैसे हमारे सूक्ष्म शरीर की ऊर्जा का शुद्धिकरण होता है, उसमें वृद्धि होती है और वह संतुलित होती है, हमारी सारी पारिवारिक, स्वास्थ्य और आर्थिक समस्यायों के समाधान होने लगते है।