सार
शिवकालीबोध, माँ काली और महादेव शिव की सर्वोच्च ईश्वर शक्ति को हमारे भीतर जागृत और सक्रिय करने की आध्यात्मिक प्रणाली है। आध्यात्मिक प्रक्रियाओं का पालन करने से, हमारे सूक्ष्म शरीर की उर्जा का शुद्धिकरण, उसमें वृद्धि एवं वे संतुलित हो जाती हैं। इस प्रकार, दिव्य आभा और चक्रों का उपचार अनायास ही होने लगता है। जब हमारी कुण्डलिनी हमारे सहस्रार चक्र का भेदन करती हैं, तो हमारा ईश्वर संग एकीकरण स्थापित हो जाता है और हम आध्यात्मिक रूप से सशक्त हो जाते हैं।
ईश्वरीय प्रेम और दिव्य गुण
शिवकालीबोध में, हमारे आध्यात्मिक विकास का एक महत्वपूर्ण पहलु है-हमारे भीतर ईश्वरीय प्रेम और गुणों की जागृति और सक्रियता। हमारी अंतर्निहित शक्ति की सक्रियता के परिणामस्वरूप, ईश्वरीय प्रेम और गुण हमारे विचारों, व्यवहार और कार्यों में अभिव्यक्त होने लगते हैं। ईश्वरीय प्रेम और ईश्वरीय गुण शीर्षकों के अंतर्गत इनकी चर्चा विस्तार से की गई है।
विशिष्टता
शिवकालीबोध में, सर्वोपरि ईश्वर शक्ति की पूजा अर्चना, आकार में एवं निराकार में भी की जाती हैं। यह केवल ईश्वर पर केंद्रित है और मानव पूजा को हतोत्साहित करता है। शिवकालीबोध प्रक्रिया-संचालित है और आध्यात्मिक रूप से उन सभी को सशक्त करता है जो इसका अभ्यास करते हैं और उन्हें किसी पर निर्भर नहीं बनता।
स्वप्न
हमारा स्वप्न इस संसार में एक स्थायी सकारात्मक परिवर्तन लाने और शांति स्थापित करने का है। यह केवल संभव है ईश्वर संग एकीकरण द्वारा क्योंकि इससे ही मानव जाति में ईश्वरीय प्रेम और गुणों की जागृति और सक्रियता संभव है।
मिशन
सभी को आध्यात्मिक रूप से सशक्त बनाने के लिए मार्गदर्शन करना ही हमारा मिशन है। किसी भी भेदभाव, झूठ, बेईमानी, लालच या मानव पूजा के बिना सबका आध्यात्मिक मार्गदर्शन करना है।