सर्वोपरि परमेश्वर सदाशिव में तीन ईश्वरीय शक्तियाँ, ब्रह्मा, विष्णु और महेश, समाहित हैं-। हमारी आत्मा हमारे भीतर परमेश्वर शिव की प्रतिबिंब है। वे ही सभी प्राणियों की प्राण-शक्ति हैं। हमारी अनुपम पहचान उनकी ही कृपा से हमें मिली है। वे ही हमारी आंतरिक शक्ति हैं। उनकी कृपा से ही हम आदिशक्ति माँ पार्वती संग अपना एकीकरण प्राप्त करते हैं।
महादेव शिव और माँ पार्वती की पूजा लाखो लोग प्राचीन काल से कर रहे हैं। असंख्य मंदिर इन्हें समर्पित हैं। हमारे बहुत सारे धर्मग्रंथों में इनके जीवन का गुण-गान किया गया है। माँ पार्वती की कई रूपों में पूजा की जाती है जैसे कि माँ दुर्गा, माँ काली, माँ चण्डी, माँ भवानी और माँ चामुण्डा।
परमेश्वर महादेव शिव और परमेश्वरी माँ पार्वती अजन्मे, अद्वितीय, कालातीत और अनन्त हैं। वे सर्वोच्च ईश्वरीय शक्तियाँ हैं। हमारी दिव्य माँ अन्य कोई नहीं, माँ पार्वती ही हैं। वे शक्ति है और वे ही आदिशक्ति है।
महादेव और माँ काली की संयुक्त शक्ति, अर्धनारीश्वर इस ब्रह्माण्ड का सर्जन, नियंत्रण और पोषण करते है। हम ईश्वर के विभिन्न दिव्य रूपों के बारे में जानते हैं। ये दिव्य रूप, ईश्वर के भिन्न-भिन्न दिव्य गुणों को दर्शाते हैं, परन्तु हम सोचते हैं कि ये अलग अलग ईश्वर हैं। सत्य यह है कि यह सब अलग-अलग सत्ता नहीं हैं। ये ऊर्जाएँ हैं और ऊर्जाओं का अस्तित्व अलग-अलग नहीं होता हो सकता। वे अविभाज्य हैं। अतः सभी दिव्य रूप एक सर्वोपरि ईश्वर के विभिन्न रूप हैं। परम सत्य यह है कि शिव ही शक्ति हैं और शक्ति ही शिव हैं। शिव और शक्ति के बीच का संयुग्मन 'और' निरर्थक है क्योंकि ईश्वर एक और केवल एक ही हैं और ये हैं, शिवशक्ति।
महादेव शिव और माँ पार्वती की पूजा लाखो लोग प्राचीन काल से कर रहे हैं। असंख्य मंदिर इन्हें समर्पित हैं। हमारे बहुत सारे धर्मग्रंथों में इनके जीवन का गुण-गान किया गया है। माँ पार्वती की कई रूपों में पूजा की जाती है जैसे कि माँ दुर्गा, माँ काली, माँ चण्डी, माँ भवानी और माँ चामुण्डा।
परमेश्वर महादेव शिव और परमेश्वरी माँ पार्वती अजन्मे, अद्वितीय, कालातीत और अनन्त हैं। वे सर्वोच्च ईश्वरीय शक्तियाँ हैं। हमारी दिव्य माँ अन्य कोई नहीं, माँ पार्वती ही हैं। वे शक्ति है और वे ही आदिशक्ति है।
महादेव और माँ काली की संयुक्त शक्ति, अर्धनारीश्वर इस ब्रह्माण्ड का सर्जन, नियंत्रण और पोषण करते है। हम ईश्वर के विभिन्न दिव्य रूपों के बारे में जानते हैं। ये दिव्य रूप, ईश्वर के भिन्न-भिन्न दिव्य गुणों को दर्शाते हैं, परन्तु हम सोचते हैं कि ये अलग अलग ईश्वर हैं। सत्य यह है कि यह सब अलग-अलग सत्ता नहीं हैं। ये ऊर्जाएँ हैं और ऊर्जाओं का अस्तित्व अलग-अलग नहीं होता हो सकता। वे अविभाज्य हैं। अतः सभी दिव्य रूप एक सर्वोपरि ईश्वर के विभिन्न रूप हैं। परम सत्य यह है कि शिव ही शक्ति हैं और शक्ति ही शिव हैं। शिव और शक्ति के बीच का संयुग्मन 'और' निरर्थक है क्योंकि ईश्वर एक और केवल एक ही हैं और ये हैं, शिवशक्ति।