किसी भी क्षेत्र में ज्ञान प्राप्ति का कोई मतलब नहीं होगा, जब तक हम इस ज्ञान का प्रयोग नहीं करेंगे। यह हमारे द्वारा अर्जित किसी भी कौशल या शिक्षा का मूल उद्देश्य है। हमारी शिक्षा हमें तभी सशक्त करेगी, जब हम उसका प्रयोग करने लगेंगे।
इसी तरह, जब ईश्वरीय प्रेम और गुण हमारे भीतर जागृत हो जाये, तो हमें उन्हें अपने विचारों, व्यवहार और कार्यों में अभिव्यक्त करना चाहिए। जब हम ईश्वरीय प्रेम और गुणों की अभिव्यक्ति पूर्ण रूप से करने में सक्षम हो जायेंगे, तब यह निश्चित हो जायेगा कि ईश्वर संग हमारा एकीकरण स्थापित हो गया है। यही हमारा आध्यात्मिक सशक्तीकरण है। हम अपनी दिव्य माँ की प्रभुता में प्रवेश करते हैं, जहाँ हम असीम प्रेम, सुरक्षा, अच्छा स्वास्थ्य, समृद्धि, शांति, आमोद और परमानन्द अनुभव करते हैं।
शिवकालीबोध, हमारी जागृति, अभिव्यक्ति, प्रबोधन और ईश्वर संग एकीकरण को स्थापित करने की आध्यात्मिक पद्धति है। हमारे आध्यात्मिक सशक्तिकरण के मार्ग पर, आदिशक्ति माँ काली और महादेव शिव हमारा प्रेम से मार्गदर्शन करते हैं। हमें केवल, शिवकालीबोध आध्यात्मिक जीवन शैली एवं ईश्वर को अपनी श्रद्धा व्यक्त करने का तरीका सीखना और अपनाना हैं।
इसी तरह, जब ईश्वरीय प्रेम और गुण हमारे भीतर जागृत हो जाये, तो हमें उन्हें अपने विचारों, व्यवहार और कार्यों में अभिव्यक्त करना चाहिए। जब हम ईश्वरीय प्रेम और गुणों की अभिव्यक्ति पूर्ण रूप से करने में सक्षम हो जायेंगे, तब यह निश्चित हो जायेगा कि ईश्वर संग हमारा एकीकरण स्थापित हो गया है। यही हमारा आध्यात्मिक सशक्तीकरण है। हम अपनी दिव्य माँ की प्रभुता में प्रवेश करते हैं, जहाँ हम असीम प्रेम, सुरक्षा, अच्छा स्वास्थ्य, समृद्धि, शांति, आमोद और परमानन्द अनुभव करते हैं।
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