शिव, परम मंगल ईश्वर हैं। वे महादेव हैं, जो देवों में सबसे महान हैं। अनादि काल से, इन्हें परमेश्वर मानकर पूजा जाता है, जो ब्रह्माण्ड की रचना, सुरक्षा, रूपांतरण और विनाश करते हैं। इनकी शक्ति माँ पार्वती हैं, जो इनके बाएं ओर स्थित हैं। यह दोनों शक्तियाँ मिलकर, सर्वोपरि ईश्वर शक्ति, अर्धनारीश्वर का निर्माण करती हैं।

आकार में, शिव को नित्य समाधि में बैठे हुए माना गया है। इनके गले में एक सर्प, और जटाओं में अर्धचंद्र और पवित्र गंगा सुशोभित हैं। इनके माथे पर तीसरी आंख है और हाथ में त्रिशूल के साथ डमरू है। इन्हें शिवलिंग के रूप में भी पूजा जाता है। इनके शरीर को अति कठोर और इन्हें अपराजित प्रभु माना जाता है। भीतर से इन्हें बहुत भोला माना जाता है। इनके समभाव को कुछ भी विचलित नहीं कर सकता।

निराकार में, परमेश्वर महादेव अजन्मे, अनादि, पारलौकिक, अनंत, शून्य और अपरिवर्तनीय सर्वोपरि ईश्वर हैं। वे परम शक्तिशाली ईश्वरीय ऊर्जा हैं। वे परमपिता परमात्मा हैं। वे सभी जीवों में आत्म रूप में विराजित हैं। इनके गुण अथाह, असीमित और मानवीय समझ के परे हैं। वे किसी से भी बंधे नहीं हैं, जो हमारी आत्मा का सार भी है। वे आमोद और परमानन्द हैं। वे ही सर्वव्यापी ब्रह्माण्डीय चेतना एवं हमारी आंतरिक ऊर्जा का स्रोत हैं।


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