ईश्वरीय प्रेम के साथ-साथ हमारे भीतर ईश्वरीय गुणों की जागृति और हमारे विचारों, व्यवहार और कार्यों में उनकी अभिव्यक्ति, शिवकालीबोध में हमारे आध्यात्मिक उत्थान के लिए आवश्यक है। ईश्वरीय गुणों की अभिव्यक्ति के महत्व का वर्णन निम्नलिखित है:

हम अपने जीवन में अनायास ही उन लोगो के गुणों को अपनाते हैं जिनसे हम प्रेम करते हैं, जैसे कि माता-पिता, कोई आदर्श व्यक्ति, कोई मित्र या फिर कोई परमप्रिय। इसलिए, जब हम ईश्वर से अपने ह्रदय की गहराई गहरायी से प्रेम करते हैं, तो हमारे भीतर उनके गुण जागृत होने चाहिए। जब परमात्मा के प्रति हमारे लगाव में जुनून होता है, तब ईश्वरीय गुण अनायास ही हमारे भीतर जागृत होते हैं और हमारे अस्तित्व का हिस्सा बन जाते हैं। फलस्वरूप, हमारी नकारात्मकता नष्ट हो जाती है। तब यह सुनिश्चित हो जाता है कि जिन दिव्य शक्तियों की हम पूजा करते हैं, वे हमारे भीतर सक्रिय हो गई हैं। हम सर्वोपरि ईश्वरीय शक्ति, आदिशक्ति माँ काली और महादेव शिव के सच्चे प्रतिबिंब तभी और केवल तभी बनते हैं।

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